दिखाए हैं हुस्न ने मंज़र कैसे - कैसे मारे हैं दिल पर तीर - ओ - ख़ंजर कैसे - कैसे पुर-ख़ार रास्तों पर चल कर आएं हैं तुझ तक तेरी इक झलक को पूरे हैं किए सफ़र कैसे - कैसे खींची है इक आह - ए - पुर असर मगर सब ज़ाया क्या बताऊं कि बुत-कदा में हैं पत्थर कैसे - कैसे मिलते हैं रहज़न अब रहबरों की शकल में देखे हैं "हिलाल" ने न जाने हमसफ़र कैसे - कैसे ~हिलाल हथरवी . ©Hilal Hathravi #Rahbar #Manzar #Aah