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मैंने कब चाहा था ये कि तू भी मुझे प्यार कर मेरी



मैंने कब चाहा था ये कि तू भी मुझे प्यार कर
मेरी ख्वाहिश थी बस यही कि इश्क तू भी बेशुमार कर

न जाने कौन सी शिकायतें दिल में रह गई
मुझे मेरी सज़ा मिली तू अपनी का इन्तज़ार कर
© trehan abhishek ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।


मैंने कब चाहा था ये कि तू भी मुझे प्यार कर
मेरी ख्वाहिश थी बस यही कि इश्क तू भी बेशुमार कर

न जाने कौन सी शिकायतें दिल में रह गई
मुझे मेरी सज़ा मिली तू अपनी का इन्तज़ार कर
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