इस जिन्दगी की कहानी, लिखना मुश्किल है जैसे पानी के ऊपर पानी, लिखना मुश्किल है रात को सुलाते-सुलाते, सवेरा हो गया सुबह को जगाते-जगाते, अंधेरा हो गया इक बात यूँ ही, ऐठी बैठी रही और बातों-बातों में, तेरा-मेरा हो गया इस जिन्दगी की बयानी, लिखना मुश्किल है जैसे पानी के..... कल की ख्वाहिशों ने आज का, हाथ थामा है आज की बन्दिशों ने कल का, साथ त्यागा है मौन का शब्द कौन सुना-समझा तदबीर को क्या पता? के तकदीर का मारा है इस जिन्दगी की परेशानी, लिखना मुश्किल है जैसे पानी के...... *विपिन कुमार सोनी(c) 20.05.2023, 02.06.2023 ©विपिन कुमार सोनी #zindigi.vip