आँखों से देखकर भी तो ये मोहब्बत गँवारा थी मुझे क्यूँ लग रहा है मैंने तेरे दामन को दाग़दार किया वो एहसासों की चाहत भी कभी कम तो ना थी जो निष्पाप तेरे जिस्म को छूकर ये गुनाह किया जिस बेख़ुदी ने यूँ मुजरिम बनाया है हमें उसने मेरे गुनाह में बेवजह तुझे शामिल है किया अपने रिश्तों पे जो इल्ज़ाम लगाया मैंने उसकी कोई भी सजा दे दे मुझको पर तू गंगा ही रहे सदा के लिये...... 26.12.1995 #पुरानी_डायरी #पुरानी_यादें #yqbaba #yqdidi