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तन मन से जो जोड़ा और बचाया, एक दिन सब छोड़ चले जा

तन मन से जो जोड़ा और बचाया, 
एक दिन सब छोड़ चले जायेंगे..

बिदाई के दिखावे में होंगे थोड़े खर्च, 
बाकी सब गुप चुप ठिकाने लग जायेंगे..

बैंकों और लॉकरो के पुर्जे ढूंढेगे जो,
तेरी तस्वीर देख वहीं आँसू बहाने लग जायेंगे..

अपने तो छुट जाते उसी क्षण, 
प्राण जब देह छोड़ता  है... 

कुछ समय और जो की देरी, 
तेरी देह से अपने गंधाने लग जायेंगे..

बन के फिरता है क्यूँ मोह का परिंदा, 
मोह की ये कैद एकदिन सताने लग जायेंगे..

हो सके तो नेकीयों के नोट भी कमा, 
अंतिम क्षणों में साथ साथ यही जायेंगे..

प्रभु चित्त में बस जायें कुछ ऐसे अब.. 
बार बार जीवन-मरण के बहाने छुट जायेंगे..

स्वरचित
सपना चंचल

©Chanchal's poetry
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