***** कोलैबोरेशन आगे यहां तक फरहत शहज़ाद साहब फरमाते हैं। आगे इसमें हमारी दो लाइन्स हैं आज रुस्वा है दिल मेरा रोया नहीं वो समझे हैं आवारा दिल मेरा टूटता नहीं खा कर ज़ख़्म दुआ दी हमने तेरी तन्हाई को रूह तलाक पनाही दी हमने होश खो कर ज़र्रा ज़र्रा -ए- आब हैं क्यों मिट्टी ख़ाक की बहायी नहीं हमने। रार :~ दुश्मनी इसरार :~ जिद #ज़माना #तकरार #इश्क़ #चांद #गजल #YourQuoteAndMine Collaborating with |𝒵𝑒𝒻𝒾𝓃𝒾𝓉 𝔢