एक समय के बाद देखना फिर से पहले सा होगा सब जो मनमुटाव और टकराहट है दफन होगी यह तुम देखना सब जो उलझे हैं अनसुलझे धागों में ख़ुद-ब-ख़ुद सुलझेंगे देखना सब फैली प्रचंड विद्वेष अग्नि चहुँओर पश्चाताप के नीर से शांत होगी देखना सब बहके हैं अज़नबियों के बहकावे में अपनापन ज़ल्दी समझेंगे देखना सब कर रहे जो विरोध ख़ुद का ख़ुद ही जानेंगे अपना हित-अनहित देखना सब ग़ैरों को अपना बना गले लगा रहे जो उनमें छिपे द्रोही को पहचानेंगे देखना सब झड़ जायेंगे सूखे पत्ते शाखों से ही सब झूमेंगे हरे पत्ते डालों पर फिर से देखना सब एक समय के बाद देखना मुनेश सब पहले सा ही होगा देखना सब Muनेश..Meरी✍️🌈🌈🌈 सुप्रभात। एक समय के बाद सूखे पत्ते ख़ुद झड़ जाते हैं वैसे ही इंसान के ग़म। #समयबाद #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi