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#OpenPoetry जीवन में संघर्षों को भी कहा इतमिनान है

#OpenPoetry जीवन में संघर्षों को भी कहा इतमिनान है
क्षणभर विराम फिर लम्बा इम्तेहान है
गांव का वो छोटा-सा पंक्षी
न जाने कब बड़ा हो गया
ऊंची मंजिलों का चाह रखकर वो
गांव की पगडंडीयो को छोड़कर
शहर की उन तंग गलियों में जा खड़ा हो गया
गांव का वो पक्षी बड़ा हो गया-2
लेकर अपनी आंखों में सपने
जीवन के संघर्षों के आगे 
बेबाकी से खड़ा हो गया
होकर दूर मां की ममता के आंचल से
पिता के स्नेह छांव से
लेकर चार पन्ने और तीखी कलम को
न जाने कहां गुमशुदा हो गया
गांव का वो पक्षी बड़ा हो गया-2 #गांव का वो पंक्षी बड़ा हो गया#
#OpenPoetry जीवन में संघर्षों को भी कहा इतमिनान है
क्षणभर विराम फिर लम्बा इम्तेहान है
गांव का वो छोटा-सा पंक्षी
न जाने कब बड़ा हो गया
ऊंची मंजिलों का चाह रखकर वो
गांव की पगडंडीयो को छोड़कर
शहर की उन तंग गलियों में जा खड़ा हो गया
गांव का वो पक्षी बड़ा हो गया-2
लेकर अपनी आंखों में सपने
जीवन के संघर्षों के आगे 
बेबाकी से खड़ा हो गया
होकर दूर मां की ममता के आंचल से
पिता के स्नेह छांव से
लेकर चार पन्ने और तीखी कलम को
न जाने कहां गुमशुदा हो गया
गांव का वो पक्षी बड़ा हो गया-2 #गांव का वो पंक्षी बड़ा हो गया#

#गांव का वो पंक्षी बड़ा हो गया# #कविता #OpenPoetry