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विपरीत दिशा वो अनपढ़ पीढ़ी जो हमें डाँटती थी- नल

विपरीत दिशा वो अनपढ़ पीढ़ी 
जो हमें डाँटती थी-
नल धीरे खोलो अन्न नाली में ना जाए
तुलसी पर जल चढ़ाओ बरगद पीपल आँवला पूजो मुँडेर पर चिड़िया के पानी रखा या नहीं ?
सब्ज़ी के छिलके गाय बकरी को दो काँच कूड़े में मत डालो , कोई जानवर मुँह ना डाल दे , संस्कार देती शिशु के जन्म से पहले नौ माह गर्भ संस्कार का पालन कराती, परिवार जोड़ना सिखाती
वह पीढ़ी शास्त्रों की श्रुति परम्परा की शिष्य थी।
ये आधुनिक पीढ़ी
 आधे  शिक्षित, आधे भ्रमित, आधे विज्ञान और आधे भगवान को मानने वाले, टूटे विश्वास टूटे घर, टूटे नातों तले मन में कसक लिए आधुनिकता के तमगे का भार लिए झुकी कमर के साथ अकेले सिसकते फिर रहे आत्मीयता की ठंडी छांव के लिए। जाने किस परंपरा के शिष्य है?

©दीपिका सिंह #WForWriters
विपरीत दिशा वो अनपढ़ पीढ़ी 
जो हमें डाँटती थी-
नल धीरे खोलो अन्न नाली में ना जाए
तुलसी पर जल चढ़ाओ बरगद पीपल आँवला पूजो मुँडेर पर चिड़िया के पानी रखा या नहीं ?
सब्ज़ी के छिलके गाय बकरी को दो काँच कूड़े में मत डालो , कोई जानवर मुँह ना डाल दे , संस्कार देती शिशु के जन्म से पहले नौ माह गर्भ संस्कार का पालन कराती, परिवार जोड़ना सिखाती
वह पीढ़ी शास्त्रों की श्रुति परम्परा की शिष्य थी।
ये आधुनिक पीढ़ी
 आधे  शिक्षित, आधे भ्रमित, आधे विज्ञान और आधे भगवान को मानने वाले, टूटे विश्वास टूटे घर, टूटे नातों तले मन में कसक लिए आधुनिकता के तमगे का भार लिए झुकी कमर के साथ अकेले सिसकते फिर रहे आत्मीयता की ठंडी छांव के लिए। जाने किस परंपरा के शिष्य है?

©दीपिका सिंह #WForWriters