लेके हाथ हथेली में हर बात स्वीकार करती हूं। अधरों से लेके नाम तेरा नैनो से दीदार करती हूं। है कंवल सी रूप तेरी जो बरसो से उर में समाई है, जिसको देख रात- दिन मधुर मनुहार करती हूं।। अंजली श्रीवास्तव