घर की दहलीज लांघ कर आते हैं जब बाहर हम एक राह नई सी होती है होती है कुछ उम्मीदें भी मिलता है जब एक शिक्षक मुश्किल होती है पार सभी है धन्यवाद उन आदर्शों को जो प्रतिपल रहते साथ है घड़ियां हो चाहे खुशियों की लगती हो मंज़िल असंभव जब भी बस देखती हूं आप सब को मिलती है प्रेरणा रोज़ नई खिड़की से दिखता था जो जहां पहचान कराई आपने ही ना होते जो आप सब साथ मंज़िल रहती दूर कहीं इक ही है मेरी चाह यही अभिलाषा है उस राह चलूं विद्यार्थी की जो परिभाषा है.. ©simran Swarna #Teacher #poem #Nojoto #Teachersday