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सपनों के शीशे टूटे दु:ख की दरार से, चाह के भ

सपनों के शीशे टूटे दु:ख की दरार से,       चाह के भी निकले न मन मजधार से। मेरा मन।
सपनों के शीशे टूटे दु:ख की दरार से,       चाह के भी निकले न मन मजधार से। मेरा मन।
sejalsharma6558

Sejal Sharma

New Creator