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तुम ही दाता तुम ही विधाता! तुम इस जग के स्वामी हो

तुम ही दाता  तुम ही विधाता! तुम इस जग के स्वामी हो! मेरे मन की बात बिन कहे  जान लेते हो! तुम मेरे अंतर्यामी हो! तुम ही दाता तू ही विधाता तुम इस जग के स्वामी हो! मेरी भक्ति में एक स्वार्थ छिपा! इस जग में कोई कष्ट ना हो ! अन्न ,जल ,धन से परिपूर्ण रहे सब!  ये नत मस्तक आपके चरणों में झुका ! धन- दौलत रंग -रूप जात पात का न भेदभाव रहे! इस भावना में मैं हूँ रमा!  पल-पल मन तुमको है पाता! तुम ही दाता तुम ही विधाता तुम इस जग के स्वामी हो !

©Dinesh Kashyap
  #तुम ही दाता तुम  ही विधाता

#तुम ही दाता तुम ही विधाता #Mythology

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