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मैं तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ, हाँ मैं पागल हूँ

मैं तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ,
हाँ मैं पागल हूँ, आवारा हूँ।
तेरे प्रेम बाणों से आहत हूँ,
फिर भी तेरे प्रेम में बावरा हूँ।।

तुम्हें पाने की तीव्र इच्छा नहीं,
पर तुम बिन अधूरा-बेसहारा हूँ।
जीवन में तेरे स्थान नहीं मेरा,
मैं वही बहता अश्रुधारा हूँ।।

फिर से उग आऊँगा कल आसमाँ में
न मैं सुर्य न चंद्रमा न ध्रुवतारा हूँ।
तेरे इच्छापूर्ति के लिए आहुति दे,
मैं वही तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ।।
हाँ मैं पागल हूँ, आवारा हूँ।।।
©Ajay मैं तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ,
हाँ मैं पागल हूँ, आवारा हूँ।
तेरे प्रेम बाणों से आहत हूँ,
फिर भी तेरे प्रेम में बावरा हूँ।।

तुम्हें पाने की तीव्र इच्छा नहीं,
पर तुम बिन अधूरा-बेसहारा हूँ।
जीवन में तेरे स्थान नहीं मेरा,
मैं तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ,
हाँ मैं पागल हूँ, आवारा हूँ।
तेरे प्रेम बाणों से आहत हूँ,
फिर भी तेरे प्रेम में बावरा हूँ।।

तुम्हें पाने की तीव्र इच्छा नहीं,
पर तुम बिन अधूरा-बेसहारा हूँ।
जीवन में तेरे स्थान नहीं मेरा,
मैं वही बहता अश्रुधारा हूँ।।

फिर से उग आऊँगा कल आसमाँ में
न मैं सुर्य न चंद्रमा न ध्रुवतारा हूँ।
तेरे इच्छापूर्ति के लिए आहुति दे,
मैं वही तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ।।
हाँ मैं पागल हूँ, आवारा हूँ।।।
©Ajay मैं तेरे आसमाँ का टूटता तारा हूँ,
हाँ मैं पागल हूँ, आवारा हूँ।
तेरे प्रेम बाणों से आहत हूँ,
फिर भी तेरे प्रेम में बावरा हूँ।।

तुम्हें पाने की तीव्र इच्छा नहीं,
पर तुम बिन अधूरा-बेसहारा हूँ।
जीवन में तेरे स्थान नहीं मेरा,