तसुव्वर-ए-जाना में ही गुज़र गई ये जिंदगी गैर इरादतन इश्क़ की ताउम्र सजा ऐसी मिली फिर भूल कर भी इरादा-ए-इश्क़ न कर सके। अपनी मर्जी से न जी ही सके और न मर सके। गैर इरादतन इश्क़