रिश्ते कभी अपने कभी पराये लगते हैं! लोगों के चेहरे भी बने बनाये लगते हैं!! दर्द कहां मिटने को इन दवाओं से साहब़! ये दवा ये मरहम रखे रखाये लगते हैं! ©अविनाश मिश्र अंजान #rishteyshayari #zakhm