इस कदर धुंध सी छाई है, दिलों दिमाग पर मेरे कुछ भी दिखाई नहीं देता, एक सेवा चेहरे पे तेरे. कैसे बताऊं किस से बात करूं, या सीने में छुपा के रखलूं मेरे.. मेरे आने पर मनाही है तेरी गलियों में, " तू ही बता अब किधर जाएं..." " तू ही बता, अब किधर जाएं"