वैसे तो अच्छे हैं, पर सायों से घिरे हैं आस-पास में कुछ चोर, सिरफिरे हैं इनसे ही बचकर निकलना होगा अब जरा संभलकर चलना होगा षड़यंत्र का जाल बिछ चुका है पठकथा वो तो लिख चुका है जिनपर आप भरोसा कर बैठे हैं मालूम है, वो किस घर बैठे हैं आजू-बाजू सबको जान लीजिए आस्तिन के सांपों को पहचान लीजिए अब के चूके तो तीर आर-पार है फिर जीत नहीं, हार ही हार है - बेमेतरिहा ©dr vaibhav shiv pandey अंतस