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कभी-कभी तनहाइयां भी सिखा देती है ढ़ंग जीने का गुस


कभी-कभी तनहाइयां भी सिखा देती है ढ़ंग जीने का
गुस्सा, शिकवा, बेवफाई अक्सर सबब बनती है पीने का 

ना रोको जज्बातों को अंदर घुटो ना किससे डरना है
सफर है चार दिन का खैर एक दिन सबको मरना है

यह सारे अनकहे अल्फाज दिल में जख्म करते हैं 
सुलगते हैं दहकते हैं मगर हरगिज़ न भरते हैं 

चलो इस बार कह डालें जो मन में है अभी-अभी 
यह मौके ढूंढने पड़ते  हैं  मिलते हैं कभी-कभी कभी-कभी
हम खो जाते हैं, रिश्तों के इस जंगल में 
कभी-कभी 
हम रो देते हैं छोटी छोटी बातों पर 
कभी-कभी 
हम हंस देते हैं दिल को दुखाती यादों पर 
कभी-कभी 
हज़ारों संभावनाओं से भरा हुआ यह शब्द

कभी-कभी तनहाइयां भी सिखा देती है ढ़ंग जीने का
गुस्सा, शिकवा, बेवफाई अक्सर सबब बनती है पीने का 

ना रोको जज्बातों को अंदर घुटो ना किससे डरना है
सफर है चार दिन का खैर एक दिन सबको मरना है

यह सारे अनकहे अल्फाज दिल में जख्म करते हैं 
सुलगते हैं दहकते हैं मगर हरगिज़ न भरते हैं 

चलो इस बार कह डालें जो मन में है अभी-अभी 
यह मौके ढूंढने पड़ते  हैं  मिलते हैं कभी-कभी कभी-कभी
हम खो जाते हैं, रिश्तों के इस जंगल में 
कभी-कभी 
हम रो देते हैं छोटी छोटी बातों पर 
कभी-कभी 
हम हंस देते हैं दिल को दुखाती यादों पर 
कभी-कभी 
हज़ारों संभावनाओं से भरा हुआ यह शब्द
rahulsharma2371

Rahul Sharma

New Creator