छू कर अनछुई हूं पूरी हूं पर अधुरी हूं गिनती में पूरी सूरी हूं शतराज़ में तुम्हारी प्यादा हूं मौसिकी की फैली सनसनी हूं अंधाधुंध गोलियां की आवाज़ हूं तुम चलते हम चाहते रहे मैं कौन हूं बस विष पीते हम, हमें ही आजमाते रहे, मैं मैं हूं ? हर बार खुद पर सवाल उछलती हूं तुम बढ़ते रहे हम घटते रहे आह सी कौन हूं घटना ग्रस्त दिल लहू लुहान सी हूं फसाद में सरहदी मलाल सी हूं मिल कर ना मिल पाएं बेहाल सी हूं अधूरी होकर अपनी कुछ पराई सी हूं मैं कौन हूं ....बताओ ना….. मैं हूं कही जताओ ना... जगाओ ना.... अपनी नींद में जगाओ ना... मैं हूं कही ..... ये बताओ ना... बताओ ना..... OPEN FOR COLLAB✨ #ATlovehandspic3 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.