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#OpenPoetry "ठोकरें खाने पर भी शान" से

#OpenPoetry   "ठोकरें खाने पर भी
         शान" से चलता हूँ"
                "मैं इस खुले आसमान के नीचे
                 सीना तान के चलता हूँ"

         "मुश्किलें सच है जिंदगी का
           आने दो- आने दो
         "उठूंगा, गिरूंगा फिर उठूंगा और
   आखिर में "जीतूंगा मैं भी" यह ठान के चलता हूँ" #OpenPoetry
#OpenPoetry   "ठोकरें खाने पर भी
         शान" से चलता हूँ"
                "मैं इस खुले आसमान के नीचे
                 सीना तान के चलता हूँ"

         "मुश्किलें सच है जिंदगी का
           आने दो- आने दो
         "उठूंगा, गिरूंगा फिर उठूंगा और
   आखिर में "जीतूंगा मैं भी" यह ठान के चलता हूँ" #OpenPoetry