वनरक्षक हमारे सारे, फकीर हो गये! जबसे साहब कार्यालय के पीर हो गये!! बोते हैं वनरक्षक, आँसुओं की फसल! जिन्हें काटकर साहब, अमीर हो गये!! वन की भला किसे फिक्र है आजकल? चन्द नोटों के लिये वे बेजमीर हो गये!! वो खुदा है वन विभाग के, इस गुमान में! लूट के सिपाही को वो दानवीर हो गये!! साहब ने सितम ये क्या गज़ब किया? कि वो, वनरक्षक की तकदीर हो गये!! ये मर्ज लाइलाज है इस वन विभाग का! ये सिपाही बेचारे मूक-बधिर हो गये!! फ़र्ज़ में डटे रहते वनरक्षक रात-दिन! इनाम में साहब ही, कर्मवीर हो गये!! बन गये राजा वो कार्यालय में बैठकर! सिपाही उनके गुलाम-वजीर हो गये!! वनरक्षक और साहब #मेरी_ख्वाहिश #वनरक्षक #साहब #सिपाही #विभाग #कहानी