जल बिन वृक्ष नही,वृक्ष बिन वायु नही, वायु बिन प्राण प्यारे, कैसे बच पाएंँगे। नहर, तालाब, नदी, घट रहे प्रतिदिन, पशु–पक्षी जीव सारे, यूंँ ही मर जाएंँगे। वायु,जल,मिट्टी,अन्न,दूषित हुए हैं ‘मन’, व्याधियों से घिरे जन,शोक गीत गाएंँगे। समय रहते यदि, हम चेत नहीं पाए तो, जल हेतु रक्त एक, दूजे का बहाएंँगे। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #जलहैतोकलहै #water #मनहरण_घनाक्षरी_मन #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #वायु #