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मैं बिखर रही हूँ पल पल यहाँ, तुम बस मौन मेरा तमाश

मैं बिखर रही हूँ पल पल यहाँ, 
तुम बस मौन मेरा तमाशा देखना, 
मैं मिटी सदा पर तुम्हे सदा जीवन दिया, 
आज तुमने ही अपने लालच में मुझे मिटा दिया,गर मिटी मैं तो बच तुम भी ना पाओगे, 
खाना छोड़ो साँस लेने को भी अटक जाओगे।। 
#अंकित सारस्वत# #प्रकृति
मैं बिखर रही हूँ पल पल यहाँ, 
तुम बस मौन मेरा तमाशा देखना, 
मैं मिटी सदा पर तुम्हे सदा जीवन दिया, 
आज तुमने ही अपने लालच में मुझे मिटा दिया,गर मिटी मैं तो बच तुम भी ना पाओगे, 
खाना छोड़ो साँस लेने को भी अटक जाओगे।। 
#अंकित सारस्वत# #प्रकृति