मैं खो जाता था उसमें वो मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में ख़्यालो की नदी की तरह बहती थी ,,,क्या रातें हुआ करती थी वो जब मेरे तकिए के तले तेरी तस्वीर रहती थी ।। मैं फूल की पंखुड़ियों से नापता था इश्क़ अपना , तू मेरी है , टूट कर कांच की हर चूड़ी कहती थी ,,, क्या रातें हुआ करती थी , वो जब मेरे तकिए के तले तेरी तस्वीर रहती थी ।। वो मुलाकातें वो रूठना मनाना , मै उठता था सब नाज़ उसके , वो भी मेरा हर नखरा सहती थी ,,,, क्या रातें हुआ करती थी वो जब मेरे तकिए के तले तेरी तस्वीर रहती थी ..!! ❤️❤️❤️❤️📝🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂 pyar aur zindgi