यह बात नागवार गुजरती है,, शुरुआत हमसे ही हो,, कोई इरादा नही है दूर होने का ,, तुम्ही ने बेवजह दूरियां बना रखी हो,, बेवजह क्या फायदा हाथ बढ़ने का ,, जब अपनापन का अहसास तुम्हे न हो, बहुत खुशनसीब हूं मैं जो खास मिला,, फिक्र होती है तुमसे जो बात न हो,, एक याद बसर करती है है संदेशों में,, अब मानो लगता है जिंदगी वीरान हो,, वह आधी आधी रातों तक सिद्दत से जागना,, अब पूरी रातें नींद नहीं किस बात का मलाल हो,, इतना बदलना ठीक नहीं है ,, कभी मिलो तो आंखे मिलना भी हो,, ©Roopchand Manjhi यह बात नागवार गुजरती है,, शुरुआत हमसे ही हो,, कोई इरादा नही है दूर होने का ,, तुम्ही ने बेवजह दूरियां बना रखी हो,, बेवजह क्या फायदा हाथ बढ़ने का ,, जब अपनापन का अहसास तुम्हे न हो,