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आजकल हमसे शिक़ायत रहती है। अपने वक़्त की किफ़ायत रहती

आजकल हमसे शिक़ायत रहती है।
अपने वक़्त की किफ़ायत रहती है।
इधर उधर जाएंगे कहती है मुझसे !
तुम साथ नहीं तो भटकन रहती है।

हम चाहत हैं तेरी कोई रक़ीब नहीं।
तुम चाह कर भी  मेरे  क़रीब नहीं।
तेरे-मेरे दरमियाँ कुछ तो  ख़ास है!
भले ही मैं बेग़म  तुम  हबीब नहीं। ♥️ Challenge-787 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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आजकल हमसे शिक़ायत रहती है।
अपने वक़्त की किफ़ायत रहती है।
इधर उधर जाएंगे कहती है मुझसे !
तुम साथ नहीं तो भटकन रहती है।

हम चाहत हैं तेरी कोई रक़ीब नहीं।
तुम चाह कर भी  मेरे  क़रीब नहीं।
तेरे-मेरे दरमियाँ कुछ तो  ख़ास है!
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