तुझे मुझसे इश्क़ नहीं है तो ना सही मैंने तो बस तुझसे इश्क़ किया है, तुझे मुझसे इश्क़ नहीं करना तो ना कर पर मेरे इश्क़ की तौहीन ना कर। तुझे चाहने वाले मिल जाएंगे बहुत पर ना मिलेगा मुझसा कहीं भी, माना तुझे मेरी कोई कदर नहीं है पर मेरे इश्क की रुसवाई ना कर। मेरे दिल पर जोर नहीं रहा मेरा इसलिए तुझ संग दिल लगा बैठा, इश्क किया नहीं जाता हो जाता है तू मुझ पर यकीन कर या ना कर। तेरे इंकार के बावजूद भी मेरा दिल खोया रहता है तेरे ही ख्यालों में, माना मैं तेरे काबिल नहीं पर तू मुझ पर इल्जाम लगाकर दागदार ना कर। तेरे इंकार को इकरार-ए-इश्क समझने की भूल "एक सोच" से हो गई, तू मुझे याद ना रख भूल जा पर पर मेरे इश्क को बदनाम सरेआम ना कर। 🌷सुप्रभात🌷 👉🏻 प्रतियोगिता- 250 🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 👉🏻🌹"इश्क़ की तौहीन"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या