पिंजरे में कैद चिड़िया क्या जाने उन्मुक्त आसमां में उड़ना क्या होता है सागरों संग बहना क्या होता है पर्वतों की ऊंचाई चूमना कैसा होता है वो चिड़िया जो कैद रहना चाहती है वो क्या जाने सपनो में जीना सपनों के लिए लड़ना सपनों को पाना क्या होता हैं। कैदी बन पिजरें में बैठी चिड़िया क्या जाने खुले मन से जीना हवाओं से बातें करना आवारो जैसे अकेले ही घूमना क्या होता है। जमीं की धूल से आसमां का तारा बनाना.. गिरना फिर गिर कर उठना... सपनों के लिए अपनों से लड़ना.. क्या होता है। वो तो बस कैद है एक पिंजरे में ... वही अब उसकी दुनिया है , उसे उड़ना कहा आता है, उसे बस अब कैद ही रहना है। उड़ना नही चाहती... या उड़ना भूल चुकी है। क्या थी उसकी चाहत... क्या था उसे बनाना... क्या थे सपने... क्या थी हसरतें... उसे कुछ याद नहीं, सबकुछ भूलाकर शायद वो खुश है। बिना सपनों का जीना शायद उसे आता है। चिड़िया उड़ना नही चाहती, या उड़ान भूल चुकी हैं। ©saumya #कैद #jail #सपनों_का_मर_जाना