दिल की तड़प को वो समझेगा कैसे? इश्क़ है उससे कितना वो जानेगा कैसे? उठता है बवंडर दिल की गहराइयों में, महरूम वो हाल-ए-दिल से तूफ़ाँ थमेगा कैसे? बढ़ती साँसों को मेरी करार उसी से आए, वो इतराता है यूँ घायल दिल बचेगा कैसे? हवाओं में उसकी महक बिख़री फ़ैली हुई है, वो दीदार भी न दे तो ये दिल तड़पे न कैसे? सुना है रोशन समां इक़ उनके ही हुस्न से है, कुछ बिजलियां मुझपर गिरी तो दिल भरे न कैसे? यूँ तड़प इस तरह दिल में तुम जगाया न करो, वो ख़ूबसूरत हैं इतने ये दिल तरसे न कैसे? ♥️ Challenge-768 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।