।। सौगातें ।। हकीकत ना सही तुम, सपना बनकर मिला करो भटके मुसाफिर को, चांदनी रात बनकर मिला करो चेहरे से जो ना जाए , वह नूर बनकर मिला करो खत्म ना हो जो कभी , ऐसी राह पे हमराह बनकर मिला करो पतझड़ पर भी जो मुस्काए , वो कांटे बनकर मिला करो धूप में भी छाव मिले , ऐसा हमसाया बनकर मिला करो चलते-चलते बहुत दूर निकल गया, वो उस आसमान पे लौट आए घर वह शायद , तारे बनकर पैरों में उसके चुभा करो हर दिन नई बातें नई सोच लिखते हो रेत के कागज पे गर निभाना हो, तभी दिल की सौगातें पत्थर पर भी लिखा करो कहने और करने में फर्क है ऐसा , जैसे जमीन और आसमान जब आसमान में चलने का हुनर ना हो तो जमीन पे इन एहसासों को अपने लफ्जो में ना बर्बाद करो @विकास #weather सौगातें