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आवाज़ खींचतीं है ध्यान मेरा इस धरा में बह जाता हू

आवाज़ खींचतीं है ध्यान मेरा इस धरा में 
बह जाता हूँ मैं भी उसी की धारा में। 
कुछ देर प्रफुल्लित करती फिर विचलित ही। 
तू दे आवाज़ गैब से मुझे
और छुड़ा दे मेरे हर ऐब से मुझे। 
सुना है तेरी सदा आती है सदा से।  आवाज़
आवाज़ खींचतीं है ध्यान मेरा इस धरा में 
बह जाता हूँ मैं भी उसी की धारा में। 
कुछ देर प्रफुल्लित करती फिर विचलित ही। 
तू दे आवाज़ गैब से मुझे
और छुड़ा दे मेरे हर ऐब से मुझे। 
सुना है तेरी सदा आती है सदा से।  आवाज़
ckjohny5867

CK JOHNY

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