आज उनकी गलियों से गुजरो तो अजनबियों की तरह देखते हैं; जो कभी महज इक दीदार के लिए दोपहर की तपती धूप में दरवाजे पर नंगे पैर खड़े रहते थे। Mohd.Haroon.... Dildal ka didar...