खाली खाली परी है मेरी गाँव के चोराहें अब तो बस तारीखे पे होती मुलाकात है रोज मिलते हैं नऐ लोग सफ़र में रोज रोज मिलते हैं नऐ लोग सफ़र में मगर पुरानें दोस्तों से सालों बाद भी कहां होती है मुलाकातें और रहे जब तक तक इश्क में तब तक उसके ही मोहब्बत लिखे रहे इश्क में जब तक तब तक उसके ही मोहब्बत लिखे साथ छुटने के बाद भी हमनें अपने इश्क के हर शब्द में अपने दोस्तों के ही नाम लिखे (अभिषेक सिंह) ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd dosti पार्ट 2 #Suicide