मुझसे पूछो अज़ाब रिश्तों का__,, मेरा साथी आधे सफ़र में ही छोड़ गया मेरा हाथ, अब ईस मन्ज़िल का क्या फायदा जिसके सपने साथ बुने थे हमने। ©Adnan Ahmad