तुम हो मेरे संसार से स्वर स्वर थे ठहरे प्यार से मैं कुछ नहीं हूँ बिन तुम्हारे तुम प्रणय के सार से तुम हो प्रणय के गान से मस्तिष्क में हो ध्यान से तुम स्मृती में हो मेरी तुम हो हृदय मे प्राण से तुम भाव हो विश्वास हो बस तुम हृदय की आस हो स्पर्श मे तुम हो नहीं मन मे हो तुम, तुम पास हो