यह रक्त रंजित जनेऊ.. खून से लथपथ वो जनेऊ नौ सौ वर्षों की कहानी है ऋषि कश्यप की धरती पर सदियों के विध्वंस की निशानी है बहुत सहा है,हम अब न सहेंगे जोर जबर से हम न डरे हैं न डरेंगे दुनिया साथ देगी तो साथ लड़ेंगे