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जीवन में कितने वह क्षण विशेष थे । लिखने से रह गये

जीवन में कितने वह
क्षण विशेष थे ।
लिखने से रह गये
कुछ पन्ने शेष थे ।।

मन से विरक्त थे
कुछ हममें शेष थे।
बरसे जो आँखों से
वह मन के क्लेश थे ।

यादों की तेरी आंच से
पिघला हुआ ये मन ।
समझे न हम जिसे
कुछ मन के द्वेष थे ।।

फुर्सत में बैठ कर
विचारा नहीं कभी।
जीवन में कितने हम
हासिल विशेष थे ॥

©SMA voice group
  #fozia #kalm  Amit Pandey Kamaal Husain Ajain_words Senty Amarjit आँचल सोनी 'हिया'