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'सोनू' भगवान की कृपा और कल्याणकारी सरकार की योजना

'सोनू' भगवान की कृपा और कल्याणकारी सरकार की योजना से आज सकुशल कोटा से घर पहुंच गई।घर पहुंचते ही सोनू ने अपनी बड़ी बहन मोनू को टोक दिया कि तुम संगरोध की व्यवस्था में गम्भीर नहीं हो।
मोनू अवाक रह गई, फिर पूछी, सच में?
सोनू ने कहा, हाँ।
तुम्हारे पास बस तीन दिन हैं, प्रश्न विहीन प्रबंध के लिये।मार्गदर्शन ले सकती हो।
सोनू ने पूछा, ठीक है?
मोनू ने स्वीकार करते हुऐ कहा, ठीक।

(कृपया,शेष कहानी अनुशीर्षक में पढ़ें) ये दोनों बहनें अपने आप में जुदा हैं।जहाँ सोनू एक चंचल लड़की है तो मोनू अति गम्भीर।एक माँ पर गई है तो एक पापा पर, ऐसी कोई बात नहीं।दोनों जुदा है।
अब तो मोनू का कौतुक बढ़ गया, आखिर तीन दिन क्यों?माजरा क्या है?हे मेरे भगवान कैसी है ये लीला?
और सोचने लग जाती है...तीन दिन...तीन दिन।
आज पहला दिन है, यह सोचते हुए सोनू को आवाज लगाती है कि, तुम्हें अगले, कम से कम पंद्रह दिनों तक
उस विशेष कमरे में रहना है, जिसकी व्यवस्था हमलोगों ने की है।
सोनू की सक्रिय हाँ रही।
मोनू का पहला दिन आत्ममंथन का रहा।सारे आयाम पर पुनः विचार कर कमियों को लिखित करना, पहले दिन की उपलब्धि रही।
दूसरा दिन संयोजन का रहा।कुछ नव सुझाव अस्तित्व में लाये गये।इस बार व्यक्ति विशेष और बहुआयामी तथ्यों का समावेश कर मोनू ने संकेत दे दिया की उसकी पद्धतियों पर पैनी नजर है।योगासन को तर्जी दी गई।
'सोनू' भगवान की कृपा और कल्याणकारी सरकार की योजना से आज सकुशल कोटा से घर पहुंच गई।घर पहुंचते ही सोनू ने अपनी बड़ी बहन मोनू को टोक दिया कि तुम संगरोध की व्यवस्था में गम्भीर नहीं हो।
मोनू अवाक रह गई, फिर पूछी, सच में?
सोनू ने कहा, हाँ।
तुम्हारे पास बस तीन दिन हैं, प्रश्न विहीन प्रबंध के लिये।मार्गदर्शन ले सकती हो।
सोनू ने पूछा, ठीक है?
मोनू ने स्वीकार करते हुऐ कहा, ठीक।

(कृपया,शेष कहानी अनुशीर्षक में पढ़ें) ये दोनों बहनें अपने आप में जुदा हैं।जहाँ सोनू एक चंचल लड़की है तो मोनू अति गम्भीर।एक माँ पर गई है तो एक पापा पर, ऐसी कोई बात नहीं।दोनों जुदा है।
अब तो मोनू का कौतुक बढ़ गया, आखिर तीन दिन क्यों?माजरा क्या है?हे मेरे भगवान कैसी है ये लीला?
और सोचने लग जाती है...तीन दिन...तीन दिन।
आज पहला दिन है, यह सोचते हुए सोनू को आवाज लगाती है कि, तुम्हें अगले, कम से कम पंद्रह दिनों तक
उस विशेष कमरे में रहना है, जिसकी व्यवस्था हमलोगों ने की है।
सोनू की सक्रिय हाँ रही।
मोनू का पहला दिन आत्ममंथन का रहा।सारे आयाम पर पुनः विचार कर कमियों को लिखित करना, पहले दिन की उपलब्धि रही।
दूसरा दिन संयोजन का रहा।कुछ नव सुझाव अस्तित्व में लाये गये।इस बार व्यक्ति विशेष और बहुआयामी तथ्यों का समावेश कर मोनू ने संकेत दे दिया की उसकी पद्धतियों पर पैनी नजर है।योगासन को तर्जी दी गई।