बच्चे बूढ़े और जवान, सबका रहे मोबाइल में ध्यान। पहले जिन को घर कहते थे, अब वो बस रह गए मकान। जिन में लगी रहती थी रौनक, चौपाल बैठक सब विरान। इंसानियत बिल्कुल मरी पड़ी है, पैसा ही अब तो भगवान। सच्चे चलते नाड झुका कर, लफंगे चलते सीना तान। घर की रोटी मन नहीं भाती, चाइनीज सब खाते पकवान। जहर से भरी पड़ी हैं फसलें, नस्लों का हो रहा नुकसान। तीनो टाइम दवाई खाते, बीपी शुगर बीमारी आम। रिवाइटल से फूर्ति आती, शरीरों में अब रही ना जान। मशीनी युग अब हो गया हावी, हाथों से नहीं होता काम। कमर दर्द से झुकते बच्चे, मल कर सोते झंडू बाम। साधु संत सब बने लुटेरे, कौन करे जग का कल्याण। कई केसों में गए जेल में, चैनल पर फिर भी दे रहे हैं ज्ञान। बेरोजगारी चरम सिरे पर, सरकार करती मंदिर निर्माण। अनपढ़ नेता बने मंत्री, धक्के खाता फिरे जवान। 'ओमबीर काजल' तू क्या बोले, तेरी भला किसको पहचान। तू भी तो भारत देश का वासी, बोल मेरा भारत महान।। ©Ombir Kajal बच्चे बूढ़े और जवान, सबका रहे मोबाइल में ध्यान 😊