रात में आसमान से उतरीं, अकुलाई सी शरमाई सीं, अपनी मंज़िल से अनजान, ठंडी हवाओं संग गुनगुनातीं, शांति और समपर्ण से भरीं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। किसी घास के तिनके पर, किसी फूल की पत्ती पर, या फिर सीधे मिट्टी पर, चाह नही थी कोई, ईश्वर की मर्जी में वो खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। धरती ने उनका स्वागत किया, जिससे भी उनका मिलन हुआ, उनकी सुंदरता थी बढ़ाई, जैसे कर दी हो सुंदर सी कढ़ाई, मांग नही करना कोई आया, बिना बोझ के साथ निभाया, फिर भी पहचान नही खोई, ध्यानमग्न सी बैठीं रहीं अपने सुख में खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर तपस्या का फल पाया, सुनहरा सूरज नभ में उग आया, उसकी आभा से हो गईं प्रकाशमान, सूर्य उनमें से झिलमिलाया, मोती सा उनको चमकाया, बिन मांगे था बहुत कुछ पाया, दिवाली सा उत्सव उन्होंने मनाया, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर जाने का वक़्त हो आया, छोटा सा जीवन क्या खूब जी पाया, धरती को था बहुत खूबसूरत बनाया, सीख लें हम जीने की कला इनसे, क्या खूब जीवन जीना सिखाया, लीन हो गईं अम्बर में फिर कहीं । थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। -Vinay #NojotoQuote ओस की बूंदे #Dewdrop #Life #Motivation