जाती महज़ एक श्रेस्ठ वो है मानव जाती फिर इस मानव मे जनवरता कहां से है आती जाने किसने किसलिए फिर जात बाटी हज़ार जातियों की ज़रुरत अब क्या थी प्रेम धर्म होता इंसानियत प्राण होता हर इन्सान की काश ऐसा होता की हर भेद मिट जाये इस जहां की । रंगों में न कोई हो आधार पूजा जाये भावना भावना हो आधार ! ©gudiya #जात पात #भावना #Nojoto #jat paat #Twowords