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ना मिली तसल्ली इतने अरसो बाद भी, आए होठों पर हँसी

ना मिली तसल्ली इतने अरसो बाद भी,
आए होठों पर हँसी जमाना गुज़र गया,
तरस उठती है निगाहे जिस ख़ुशी की तलाश में,
उन लम्हो को पाए जमाना गुज़र गया,
कागज़ की कश्ती के लिए रोया था कभी,
रो रहा हूँ आज कागज़ के नोट के लिए,
सुबह से शाम तक भटकता हूँ मैं,
दो वक़्त की रोटी की खोज के लिए,
 #kagaj #ki #kashti

#ShivEye
ना मिली तसल्ली इतने अरसो बाद भी,
आए होठों पर हँसी जमाना गुज़र गया,
तरस उठती है निगाहे जिस ख़ुशी की तलाश में,
उन लम्हो को पाए जमाना गुज़र गया,
कागज़ की कश्ती के लिए रोया था कभी,
रो रहा हूँ आज कागज़ के नोट के लिए,
सुबह से शाम तक भटकता हूँ मैं,
दो वक़्त की रोटी की खोज के लिए,
 #kagaj #ki #kashti

#ShivEye
sauravsingh3534

Mukhauta_

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