कई बार गलतफहमी से रिश्ते बिखर जाते हैं। पल-पल जोड़कर बनाए रिश्ते टूट जाते हैं। कभी आवेश में तो कभी ईर्ष्या में रिश्ते बिगड़ जाते हैं। बात समझते नहीं बातों का बतंगड़ कर जाते हैं। तै बड़ी की मैं बड़ी में रिश्ते झुलस जाते हैं। आंख से देखें बिन और कान से सुने बिन विश्वास कर जाते हैं। पता नहीं क्यों लोग एक झटके में प्यार भरे दिल को तोड़ जाते हैं। दीवार अपनों में दीवार परिवारों में बिना सोचे समझे कर जाते हैं। परिवार को चूल्हा समझ लकड़ी लगा जाते हैं। मुद्दतों से सिल-सिल कर बनाए रिश्ते को उघाड़ जाते हैं। कान नहीं टोते कौवा खदेरे जाते हैं। कई बार गलतफहमी से रिश्ते बिखर जाते हैं। ©Ganesh Din Pal #दीमाग की बत्ती जलाओ