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कहाँ कोई अब किसी मैं चाहत है क्यों मेरे मुल्क मे

कहाँ कोई अब किसी मैं चाहत है
 क्यों मेरे मुल्क मे हर तरफ नफरत है

न किसी छोटे न किसी बड़े की इज़्ज़त है
 क्यों मेरे मुल्क की आज ऐसी सूरत है

कोई किसी का हक़ मार बैठा है कोई किसी का
 सभी ईमान वाले थे क्यूँ आज दिलो मे खयानत है

हमें तो हमारे मज़हब की हिदायत थी 
फिर क्यों हम लोगो की आज ऐसी फितरत है


क्यों गुमराह हुए कहाँ बाक़ी इंसानियत है 
हाय मेरे रब ये कैसी मेरे मुल्क की हालत है

अपनों को भी ठुकराये बैठे है सारिम 
ऐ खुदा और कब तक मेरे मुल्क पर मुसीबत है

©Mohammad sarim #Insaniyat #India #Zindagi #Dard_e_dil #sad_poetry #Mulk
कहाँ कोई अब किसी मैं चाहत है
 क्यों मेरे मुल्क मे हर तरफ नफरत है

न किसी छोटे न किसी बड़े की इज़्ज़त है
 क्यों मेरे मुल्क की आज ऐसी सूरत है

कोई किसी का हक़ मार बैठा है कोई किसी का
 सभी ईमान वाले थे क्यूँ आज दिलो मे खयानत है

हमें तो हमारे मज़हब की हिदायत थी 
फिर क्यों हम लोगो की आज ऐसी फितरत है


क्यों गुमराह हुए कहाँ बाक़ी इंसानियत है 
हाय मेरे रब ये कैसी मेरे मुल्क की हालत है

अपनों को भी ठुकराये बैठे है सारिम 
ऐ खुदा और कब तक मेरे मुल्क पर मुसीबत है

©Mohammad sarim #Insaniyat #India #Zindagi #Dard_e_dil #sad_poetry #Mulk