#OpenPoetry सब रंग मे रंगायल मोनक प्रीत बिसरल भटकायल जग केर सब रीत अहाँ बिना जिनगी विरान भ गेलै चली आऊ सजनी राति जवान भ गेलै ।। ठोर परहक लाली चैन चुरावय आँखि के काजर हिया धडकावय पातर कमर हमर मोन ललचावय हाथक मेंहदी हमर आगि धधकावय देखु देखु सेजों आब सयान भ गेलै चली आऊ सजनी राति जवान भ गेलै ।। छै पसरल सौंसे स्नेहक ई झोल किछ अलगे आवाज मचेने अछि घोल हवा सन सन अपन देखावैत अछि रूप घाम पसेना सँ महकैत अछि अपन रूप देखु देखु आब मिलन केर अवसान भय गेलै चली आऊ सजनी राति जवान भ गेलै ।। भेलै मिलन के ई राति दीप सगरो जरल वस्त्र आभुषण आ चुडी अछि सौंसे बिखरल ठोरक लाली मिटायल अछि केश बिखरल सौंसे चेहरा पर काजर केर रेस छितरल देखु चादर बिछावन के हैवान भ गेलै चली आऊ सजनी राति जवान भ गेलै ।।