सफ़र तय करना है मीलों का, कुछ दूर का सफ़र नहीं। साथ चलोगी तुम अगर, फिर मुश्किल कोई डगर नहीं। तन्हा चलना इन राहों में, इस बात की कोई फ़िकर नहीं। जो साथ दे हर मोड़ पे, उस जैसा कोई हमसफ़र नहीं। कई राह गुज़रते जाएँगे, फिर मोड़ बहुत सारे भी आएँगे। हर मोड़ पे जो मेरे साथ रहे, उस जैसी कोई नज़र नहीं। ख़ूब देखा होगा तुमने, लोगों को साथ छोड़ते इस जहाँ में। किसी मोड़ पे साथ छोड़ जाऊँ, पागल हम इस क़दर नहीं। तेरा साथ मिला है दिलबर मुझको, हाथों में तेरा हाथ है। हर राह मैं तेरे संग चलूँ, "साहिल" को अब सबर नहीं। ♥️ Challenge-657 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।