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राम भरोसे सारे हैं दरिया पार किनारे हैं किसको

राम  भरोसे  सारे  हैं
दरिया पार  किनारे हैं
किसको कोई पार उतारे
सब के सब मझधारे हैं।

ह्रदय अग्न बुझाए कौन
सन्मार्ग दिखलाए कौन
जगत खेल में कौन है जीता
जो  खेले  सब हारे  हैं।

इस मेले फिजूल गए हम
घर का रस्ता भूल गए हम
तम  छाया  चहुँ ओर  है
जीवन  'ज्योति'  सहारे  है।

©CalmKrishna
  राम भरोसे 🙂🙏

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calmkrishna4687

CalmKrishna

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राम भरोसे 🙂🙏 कविता राम भरोसा Lines ram

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