जो वजा़ थी मेरी हंसने की अब वो किसी और की वजा़ है जो वफ़ा थी मेरी पहली अब वो किसी और की वफ़ा है हम यूं ही जीये जा रहे थे एक बेवफा के प्यार में करते रहे बेइंतहा मोहब्बत वो करती रही बेवफाई मुझसे मेरे मासुमियत की आड़ में लुटने और लुटानेवाले अपने ही थे ये कैसे विश्वास कर पाता मैं लुटा तो मैं हूं यहां पर तेरी झुठी उम्मीदों के तले हद तो तब हो गई जनाब जब वो किसी और के होके मुझे अपना बताती रही पुछकर मेरा हाल चाल वो कब्र में दफनाती रही तेरे बदल जाने का दर्द नहीं न तेरे जाने का ग़म है दोस्त ने जो दिया है धोखा वो क्या तेरे दर्द से कम है । ©pradeep kumar #Bewfai Ajay verman Kiran Rajput