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घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, कदम उठाता हु आगे

घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ,  कदम उठाता हु आगे बढ़ाने के लिऐ लेकिन मंजिल के पास जाते सब भूल जाता हूं नौकरी नही मिलती साहब इसलिए घर लौट आता हूं 

एक रोटी में चार टुकड़े बनता हु एक एक टुकड़े चार लोग मिलकर खाता हूं क्या करूँ साहब घर से नौकरी के तलाश में बहुत दूर निकल जाता हूं नौकरी नही मिलती साहब इसलिए घर लौट आता हूं #Home नौकरी के तलाश में घर से दूर निकल जाता हूं
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ,  कदम उठाता हु आगे बढ़ाने के लिऐ लेकिन मंजिल के पास जाते सब भूल जाता हूं नौकरी नही मिलती साहब इसलिए घर लौट आता हूं 

एक रोटी में चार टुकड़े बनता हु एक एक टुकड़े चार लोग मिलकर खाता हूं क्या करूँ साहब घर से नौकरी के तलाश में बहुत दूर निकल जाता हूं नौकरी नही मिलती साहब इसलिए घर लौट आता हूं #Home नौकरी के तलाश में घर से दूर निकल जाता हूं
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vahid ali

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